रायपुर  आदिवासी महोत्सव के तीसरे दिन के शुभारंभ पर लोक नर्तक दलों की प्रतियोगिता में प्रथम प्रस्तुति तमिलनाडु की हुई। सफेद कुर्तासफेद लुंगी पोशाक में कोथा नृत्य प्रस्तुत किया। आयोजन स्थल पर सैकड़ों पुलिस वाले भी आनंद लेते नजर आए।

दूसरी प्रस्तुतिमहाराष्ट्र का लिंगो नृत्य

गढ़चिरौली के आसपास मृत्यु संस्कार के दौरान किया जाने वाला लिंगो नृत्य पेश किया गया। आदिवासी मानते हैं कि मृत्यु के बाद उनके स्वजन देवता बन जाते हैं। यह पहली ऐसी प्रस्तुति रही जिसमें खुशी नहींगम के मौके पर किया जाने वाला नृत्य की प्रस्तुति हुई। शेर का शिकार करते आदिवासीनाचते भालूकूदते बंदर भी नृत्य में शामिल रहे सभी कलाकारों ने छत्तीसगढि़यासब ले बढि़या का नारा लगाया।

तीसरी प्रस्तुतिदमनद्वीप दादरा की प्रस्तुति

फसल बोने से पहले देवताओं का आव्हान करके फसल पकने तक नृत्य किया जाता हैजो बारिश से पहले शुरू होकर दीपावली तक चलता है। इसे तारपा नृत्य कहा जाता है।

चौथी प्रस्तुतिमेघालय का वांगला नृत्य

कारो जनजाति का वांगला नृत्य कृषि कार्य के दौरान किया जाता है। अपने आराध्य सूर्यदेव का आभार जताते है। आदिवासीसूर्य को मिसि साल देव के रूप में पूजते हैं। यह नृत्य अक्टूबर से नवंबर तक किया जाता है।

पांचवी प्रस्तुतिछत्तीसगढ़ का उरांव कर्मा नृत्य

उरांवकंवरगोंडनागवंशी समाज द्वारा किया जाने वाला कर्मा नृत्य में मक्काजौ का जंवारा बोकर उपवास रखते हैं। कर्म वृक्ष की पूजा करकेकर्म देवता की कहानी सुनते हैं। इसे छत्तीसगढ़उत्तप्रदेशझारखंडबिहार में भी मनाया जाता है। हर जगह संस्कृति में विभिन्नता दिखाई देती है। मोर पंख से बना मुकुटकौड़ी से श्रृंगार और पारंपरिक धोतीबंडी और महिलाएं सफेदलाल बार्डर वाली साड़ी पहन मांदरढोल की धुन पर नृत्य करतीं हैं।

छठी प्रस्तुतिकर्नाटक का लम्बाड़ी नृत्य

कनार्टक की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला लम्बाड़ी नृत्य के नाम से जाना जाता है। बंजारा जाति की महिलाएं इष्टदेव की प्रार्थना करतीं हैं।

सातवीं प्रस्तुतिलक्षद्वीप का बंदिया नृत्य

एक समान आयु वर्ग की युवतियांशादी के मौके पर नृत्य कर खुशियां मनाती हैं। हाथों में मिट्टी का घड़ा लेकर परिवार में शीतलता का संदेश देतीं है। शादी से पहले मिट्टी का घड़ा लेकर नाचतीं हैं और जब ससुराल के लिए विदा होतीं हैं तो धातु का घड़ा परिवार वाले दुल्हन के साथ भेजते हैं। घड़ा और युवती दो परिवारों के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करने और जोड़ने का प्रतीक है।

आठवीं प्रस्तुतिअंडमान निकोबार का निकोबारी नृत्य

निकोबारी समुदाय द्वारा शादीत्योहार के मौके पर खुशी मनाने नृत्य करते हैं।नारियल के महत्व को दर्शाते हैं। पूर्णिमा की रात नृत्य करते हैं।